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प्यार की कसमे तोड़ दी तूने # Attaullah Khan Ghazal

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Unknown

Pyar ki kasme tod di tune pahen ke joda shadi ka attaullah khan ghazal


Pyar ki kasme tod di tune pahen ke joda shadi ka
Ab sun ke kyu roti ho zikr meri barbadi ka..

Dil ki suni nagri me ab teri yaade roti hai
Aa ke dekh le haal kabhi to iss sunsaan aabadi hai..

Ab sun ke kyu roti ho zikr meri barbadi ka..

Hamko tumse pyar ke badle ashko ki khairat mili
Be-dardi ne maan na rakha iss apne fariyadi ka..

Pyar ki kasme tod di tune pahen ke joda shadi ka
Ab sun ke kyu roti ho zikr meri barbadi ka..

Jab bhi mujko aati hai ab yaade apne majhi ki
Mera saamne aa jata hai manjar wo barbadi ka..

Ab sun ke kyu roti ho zikr meri barbadi ka..

Uski aankh ka har ek aasu mil jaye meri aankho ko
Mere hisse aa jaye " sadiq " har dukh us sehzadi ka..

Pyar ki kasme tod di tune pahen ke joda shadi ka
Ab sun ke kyu roti ho zikr meri barbadi ka..
❤❤❤❤


प्यार की कसमे तोड़ दी तूने पहन के जोड़ा शादी का
अब सुन के क्यू रोती  हो ज़िक्र मेरी बर्बादी का..

दिल की सुनी नगरी मे अब तेरी यादे रोती है
आ के देख ले हाल कभी तो इस सुनसान आबादी है..

अब सुन के क्यू रोती  हो ज़िक्र मेरी बर्बादी का..

हमको तुमसे प्यार के बदले अश्को की खैरात मिली
बे-दरदी ने मान ना रखा इस  अपने फरियादी का..

प्यार की कसमे तोड़ दी तूने पहन के जोड़ा शादी का
अब सुन के क्यू रोती  हो ज़िक्र मेरी बर्बादी का..

जब भी मुझको  आती है अब यादे अपने माझी की
मेरा सामने आ जाता है मंज़र वो बर्बादी का..

अब सुन के क्यू रोती  हो ज़िक्र मेरी बर्बादी का..

उसकी आँख का हर एक आसू मिल जाए मेरी आँखो को
मेरे हिस्से आ जाए " सादिक़ " हर दुख उस शहज़ादी  का..

प्यार की कसमे तोड़ दी तूने पहन के जोड़ा शादी का
अब सुन के क्यू रोती  हो ज़िक्र मेरी बर्बादी का..


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