Mat Pooch Kya Haal Hai # Attaullah Khan Ghazal
Mat poocho kya haal hua hai ishq me ham diwano ka
Gam ke ufaq me doob gaya hai chaand hasi ka armano ka..
Aate jate nain mile hai jane kis banjaran se
Jane kis chanchal ne loota manwa ham mastano ka..
Pehle hi har sahar me apni ruswayi ke charche hai
Nagar-nagar ab jikar na chedo bhule huye afsano ka..
Ab to hasru dhoom machi hai dil walo ke peene ki
Kya hoga ay saqi-e-mehfil shaho ke paimano ka..
Mat poocho kya haal hua hai ishq me ham diwano ka
Gam ke ufaq me doob gaya hai chaand hasi ka armano ka..
Basti-basti chalti rahegi mahar-e-wafa ki qandeele
Ishq ki aag me jalna marna sheva hai parwano ka..
Sochta rehta hai ye ' danish ' raato ke sannato me
Iss nagri me kon hai pursa ham dukhiya insano ka..
Mat poocho kya haal hua hai ishq me ham diwano ka
Gam ke ufaq me doob gaya hai chaand hasi ka armano ka..
♥♥♥♥
मत पूछो क्या हाल हुआ है इश्क़ मे हम दीवानो का
गम के उफ़क़ मे डूब गया है चाँद हसी का अरमानो का..
आते जाते नैन मिले है जाने किस बंजारन से
जाने किस चंचल ने लूटा मनवा हम मस्तानों का..
पहले ही हर शहर मे अपनी रुसवाई के चर्चे है
नगर-नगर अब जिक्र ना छेड़ो भूले हुए अफ़सानो का..
अब तो हसरू धूम मची है दिल वालो के पीने की
क्या होगा आय साक़ी-ए-महफ़िल शाहो के पैमानो का..
मत पूछो क्या हाल हुआ है इश्क़ मे हम दीवानो का
गम के उफ़क़ मे डूब गया है चाँद हसी का अरमानो का..
बस्ती-बस्ती चलती रहेगी महर-ए-वफ़ा की क़ांदीले
इश्क़ की आग मे जलना मारना सेवा है परवानो का..
सोचता रहता है ये ' दानिश ' रातो के सन्नाटो मे
इस नगरी मे कों है पुरसा हम दुखिया इंसानो का..
मत पूछो क्या हाल हुआ है इश्क़ मे हम दीवानो का
गम के उफ़क़ मे डूब गया है चाँद हसी का अरमानो का..