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बुजुर्गों का दर्द शायरी के रूप में

9 - Dec
Unknown

Buddhapa Shayari in Hindi
पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है..
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है..
अपने घर की कलह से फुरसत मिले..तो सुने..
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है..
जहां, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया..
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है..
खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..
आजकल परिंदों मे जान कौन रखता है..
हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..
बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को..
क्यूँकी आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है..

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