"गुरुपूर्णिमा" गुरु की महिमा अपरम्पार है !
गुरु गूंगे गुरु बाबरे गुरु के रहिये दास,
गुरु जो भेजे नरक को, स्वर्ग कि रखिये आस !
गुरु चाहे गूंगा हो चाहे गुरु बाबरा हो (पागल हो) गुरु के हमेशा दास रहना चाहिए !
गुरु यदि नरक को भेजे तब भी शिष्य को यह इच्छा रखनी चाहिए कि मुझे स्वर्ग प्राप्त होगा ,अर्थात इसमें मेरा कल्याण ही होगा!
यदि शिष्य को गुरु पर पूर्ण विश्वास हो तो उसका बुरा "स्वयं गुरु" भी नहीं कर सकते !"
रिश्ता बहुत गहरा हो या न हो
लेकिन
भरोसा बहुत गहरा होना चाहिये.
गुरु वही श्रेष्ठ होता है जिसकी प्रेरणा से
किसी का चरित्र बदल जाये
और..
मित्र वही श्रेष्ठ होता है
जिसकी संगत से रंगत बदल जाये ।"
"गुरु पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं